कबीर परमात्मा चारों युगों में आते हैं ।

द्वापर युग में कबीर परमेश्वर की दया से पांडवों का अश्वमेध यज्ञ संपन्न हुआ । कबीर परमात्मा ने अपने शिष्य सुपच सुदर्शन के रूप में आकर पांडवों के यज्ञ को संपन्न किया ।
कबीर परमात्मा चारों युगों में आते हैं सतयुग में सत सुकृत नाम से, त्रेता में मुनेंद्र नाम से, द्वापर में करुणामय नाम से और कलयुग में अपने असली नाम कबीर नाम से प्रगट होते हैं । 

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