द्वापर युग में कबीर परमेश्वर की दया से पांडवों का अश्वमेध यज्ञ संपन्न हुआ । कबीर परमात्मा ने अपने शिष्य सुपच सुदर्शन के रूप में आकर पांडवों के यज्ञ को संपन्न किया ।
कबीर परमात्मा चारों युगों में आते हैं सतयुग में सत सुकृत नाम से, त्रेता में मुनेंद्र नाम से, द्वापर में करुणामय नाम से और कलयुग में अपने असली नाम कबीर नाम से प्रगट होते हैं ।
"मुर्दे को जीवित करने की परीक्षा लेना" दिल्ली के बादशाह सिकन्दर लोधी के पीर शेख तकी ने कहा कबीर जी को तब अल्लाह मानेंगे जब मेरी मरी हुई लड़की को जीवित कर देगा जो कब्र में दबी हुई है। कबीर परमेश्वर जी ने अपनी समर्थ शक्ति से हजारों लोगों के सामने उस लड़की को जीवित किया और उसका नाम कमाली रखा। कबीर परमेश्वर सर्वशक्तिमान हैं। "खूनी हाथी से मरवाने की व्यर्थ चेष्टा" शेखतकी के कहने पर दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी ने कबीर परमेश्वर को खूनी हाथी से मरवाने की आज्ञा दे दी। शेखतकी ने महावत से कहकर हाथी को एक-दो शीशी शराब की पिलाने को कहा। हाथी मस्ती में भरकर कबीर परमेश्वर को मारने चला। कबीर जी के हाथ-पैर बाँधकर पृथ्वी पर डाल रखा था। जब हाथी परमेश्वर कबीर जी से दस कदम (50 फुट) दूर रह गया तो परमेश्वर कबीर के पास बब्बर शेर खड़ा केवल हाथी को दिखाई दिया। हाथी डर से चिल्लाकर (चिंघाड़ मारकर) भागने लगा। परमेश्वर के सब रस्से टूट गए। उनका तेजोमय विराट रूप सिकंदर लोधी को दिखा। तब बादशाह ने कांपते हुए अपने गुनाह की माफी मांगी।
पवित्र कुरान शरीफ सूरत फुरकान 25 आयत 52 में हजरत मोहम्मद जी को खुदा कह रहे हैं कि हे पैगंबर ! आप काफिरों का कहना मत मानना क्योंकि ये लोग कबीर को पूर्ण परमात्मा नहीं मानते हैं आप मेरे द्वारा दिए इस कुरान के ज्ञान के आधार पर अटल रहना की कबीर ही पूर्ण अल्लाह/प्रभु है तथा अल्लाह कबीर के लिए संघर्ष करना अर्थात एडिंग रहना । पवित्र कुरान शरीफ सूरत फुरकान 25 आयत 58 और 59 का सार है कि उस अल्लाह की जानकारी बाखबर से पूछो यानी मोहम्मद जी को भी अल्लाह की पूर्ण जानकारी नहीं थी जिसने 6 दिन में आकाश और धरती के बीच सब कुछ बनाया और सातवें दिन तख्त पर विराजमान हुआ ।
एक दिन समाचार पत्रा में पढ़ा कि बालोतरा के माली समाज के दो लड़के विवाह के बाद रामदेवरा जात ( बाबा रामदेव के मन्दिर ) कार में जा रहे थे । उनके साथ दोनों की पत्नीयां भी उसी बोलेरो केम्पर में सवार थे और भी 10-12 लोग साथ में थे । डी.जे. बजाकर नाच रहे थे। उधमस उतार रखा था। बालेसर के पास बोलेरो केम्पर बड़े ट्राले से टकराई। सर्व गाड़ी में दोनों दुल्हे और दुल्हनों सहित 11 लोग मारे गए। अब नाच लो डी.जे. बजाकर। परमात्मा की भक्ति करने से ऐसे संकट टल जाते हैं। इसलिए संत रामपाल दास महाराज के अनुयाईयों को सख्त आदेश है कि परमात्मा से डरकर कार्य करो। सामान्य विधि से विवाह करो। इस गंदे लोक (काल के लोक) में एक पल का विश्वास नहीं कि कब बिजली गिर जाए। ना जाने काल की कर डारे, किस विधि ढ़ल जा पासा वे। जिन्हाते सिर ते मौत खड़गदी, उणानु केड़ा हांसा वे ।। भावार्थ :- संत नानक जी ने कहा कि हे भाई! इस मृत्युलोक में सब नाशवान हैं। पता नहीं किसकी जाने की बारी कब आ जाए इसलिए जिनके सिर पर मौत गर्ज रही हो, उस व्यक्ति को नाचना-गाना, हँसी-मजाक कैसे अच्छा लगेगा? मूर्ख या नशे वाला व्यक्ति इस गंदे लोक में खुशी म...
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