Freedom from Drug & Meat
मदिरा पीवे कड़वा पानी, सत्तर जन्म श्वान के जानी ।
मांसाहारी मानवा प्रत्यश्क्ष राक्षस जान ।
मुख देखो न तास का, वो फिरे चौरासी खान ।।
सुरा पान मध मासाहारी, गमन करे भोगे पर नारी ।।
सत्तर जन्म कटत है शीशम्, साक्षी साहिब है जगदीशम् ।।
सौ नारी जारी करें, सुरा पान सौ बार ।
एक सलम हुक्का भरे, डूबे काली धार ।।
हुक्का हरदम पीरते, लाल मिलावे धूर।
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