ॐ नाम काल का
गीताजी के अध्याय 10 श्लोक 2 में कहा है कि मेरी उत्पत्ति को कोई नहीं जानता इससे सिद्ध है कि काल भी उत्पन्न हुआ है इसलिए यह कहीं पर आकार में भी है नहीं तो कृष्ण जी तो अर्जुन के सामने ही खड़े थे वह तो कह ही नहीं सकते कि मैं अनादि अजन्मा हूं ।गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी संत की प्राप्ति के बाद उस परमपद परमेश्वर की खोज करनी चाहिए जहां जाने के बाद साधक लौट कर वापस कभी नहीं आता अर्थात मोक्ष प्राप्त करता है ।
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