आज का मानव गलत भक्ति साधना करके नास्तिकता की तरफ बढ़ता जा रहा है मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों या चरच में जाकर पत्थर पूजा करता है या कहीं झूठे गुरुवों के जाल में जाकर फस जाता है अज्ञानी गुरु उनको फंसा देते हैं जिस कारण से उन्हें कोई लाभ नहीं प्राप्त होता है । अज्ञानी झूठे घरों के पास न कोई आध्यात्मिक ज्ञान है न कोई भक्ति विधि है और न उनकी कोई मर्यादा है वह खुद भी नरक को प्राप्त होते हैं और अपने शिष्यों को भी नरक में धकेल देते हैं । ऐसे अज्ञानी संतो से बचें और तत्वदर्शी संत की खोज करके उनकी शरण में जाएं और अपना मोक्ष करवाएं और इस जन्म मरण रूपी दीर्घ रोग से छुटकारा पाएं । परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है कि :-- कबीर, क्या कहूं कुछ थीर न रहाई, देखत नैन चला जग जाई । एक लख पूत सवा लख नाती, उस रावण के दीवान बाती ।। यहां परमात्मा ने कहा है कि रावण जैसा धनवान योद्धा जिसके एक लाख पुत्र संतान रूप में थे और सवा लाख उसके भाई-बंधु (न्याती) थे लेकिन सत भक्ति न करने से सारा नष्ट हो गया कोई दीपक जलाने वाला भी नहीं बचा । अध्यात्म ज्ञान...
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें