दीवाली की अंधेरी रात को, अज्ञान, लोभ, ईर्ष्या, कामना, क्रोध, अहंकार और आलस्य के अंधकार को दूर किया जा सके, तथा ज्ञान, विवेक और मित्रता की चमक लाई जा सके।
आज का मानव गलत भक्ति साधना करके नास्तिकता की तरफ बढ़ता जा रहा है मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों या चरच में जाकर पत्थर पूजा करता है या कहीं झूठे गुरुवों के जाल में जाकर फस जाता है अज्ञानी गुरु उनको फंसा देते हैं जिस कारण से उन्हें कोई लाभ नहीं प्राप्त होता है । अज्ञानी झूठे घरों के पास न कोई आध्यात्मिक ज्ञान है न कोई भक्ति विधि है और न उनकी कोई मर्यादा है वह खुद भी नरक को प्राप्त होते हैं और अपने शिष्यों को भी नरक में धकेल देते हैं । ऐसे अज्ञानी संतो से बचें और तत्वदर्शी संत की खोज करके उनकी शरण में जाएं और अपना मोक्ष करवाएं और इस जन्म मरण रूपी दीर्घ रोग से छुटकारा पाएं । परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा है कि :-- कबीर, क्या कहूं कुछ थीर न रहाई, देखत नैन चला जग जाई । एक लख पूत सवा लख नाती, उस रावण के दीवान बाती ।। यहां परमात्मा ने कहा है कि रावण जैसा धनवान योद्धा जिसके एक लाख पुत्र संतान रूप में थे और सवा लाख उसके भाई-बंधु (न्याती) थे लेकिन सत भक्ति न करने से सारा नष्ट हो गया कोई दीपक जलाने वाला भी नहीं बचा । अध्यात्म ज्ञान होने के पश्चात् मानव बुद्धिमान कि
गीताजी के अध्याय 10 श्लोक 2 में कहा है कि मेरी उत्पत्ति को कोई नहीं जानता इससे सिद्ध है कि काल भी उत्पन्न हुआ है इसलिए यह कहीं पर आकार में भी है नहीं तो कृष्ण जी तो अर्जुन के सामने ही खड़े थे वह तो कह ही नहीं सकते कि मैं अनादि अजन्मा हूं । गीता अध्याय 15 श्लोक 4 में कहा है कि तत्वदर्शी संत की प्राप्ति के बाद उस परमपद परमेश्वर की खोज करनी चाहिए जहां जाने के बाद साधक लौट कर वापस कभी नहीं आता अर्थात मोक्ष प्राप्त करता है ।
सत ज्ञान कबीर परमेश्वर ने ही यथार्थ ज्ञान बताया कि ब्रह्मा विष्णु महेश की जन्म और मृत्यु होती है, ये अविनाशी नहीं है। यही प्रमाण श्रीमद्देवी भागवत पुराण, स्कंद 3, अध्याय 5 में है। कबीर परमेश्वर ने बताया कि ब्रह्मा, विष्णु, महेश की भी जन्म तथा मृत्यु होती है। इनकी माता दुर्गा तथा पिता काल (ब्रह्म) हैं। कबीर, मां अष्टंगी पिता निरंजन, ये जम दारुण वंशन अंजन। तीन पुत्र अष्टंगी जाए, ब्रह्मा विष्णु शिव नाम धराए।। वास्तविक धर्म का ज्ञान कबीर परमेश्वर जी ने सभी धर्मों के लोगों को संदेश दिया कि सब मानव एक परमात्मा की संतान हैं। अज्ञानता वश हम अलग-अलग जाति धर्मों में बंट गये। जीव हमारी जाति है,मानव धर्म हमारा। हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।। हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, आपस में सब भाई-भाई। आर्य जैनी और विश्नोई, एक प्रभु के बच्चे सोई।।
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